Tuesday, 27 August 2013

फूड सिक्‍योरिटी बिल जनता पर बोझ नहीं तो क्या ?

लखनऊ ! देश के करीब 81 करोड़ लोग के लिए भोजन की गारंटी का बिल सोमवार को लोकसभा में पास हो गया है। अब चाहे आप इसे 'अच्छी राजनीति और खराब अर्थशास्त्र' कहें या कुछ और लेकिन कांग्रेस अधिकारों पर आधारित राजनीति के एजेंडे पर एक और मजबूत कदम बढ़ा चुकी है। खाद्य सुरक्षा कानून से पहले मनरेगा, शिक्षा का अधिकार, जैसे कई अधिकारों को जमीन पर उतार चुकी कांग्रेस आम लोगों की भलाई के नाम पर हक की राजनीति में महारथ हासिल कर चुकी है। कई लोग इन अधिकारों को वोटों की राजनीति के साथ जोड़कर देख रहें है। इसे कांग्रेस के प्रवक्ता गलत नहीं मानते। वे स्वीकार करते हैं कि खाद्य सुरक्षा कानून से उनकी पार्टी को वोट मिलेगा। लेकिन क्या हमने यह सोचा है कि इन योजनाओं को जमीन पर उतारने में सरकार कितनी रकम खर्च कर रही है,और उसके चलते आम लोगों पर कितना बोझ पड़ेगा? शायद कभी नहीं सोचा ! खाद्य सुरक्षा कानून, मनरेगा, शिक्षा का अधिकार, वन अधिकार और सूचना के अधिकार में से सिर्फ तीन अधिकारों-खाद्य सुरक्षा कानून, मनरेगा, शिक्षा के अधिकार पर ही सरकार सालाना लगभग 5.70 लाख करोड़ खर्च कर रही है। अगर देश की 100 करोड़ (1.21 अरब की कुल आबादी में से करीब 21 करोड़ की आबादी घटाकर क्योंकि इनमें कुछ बच्चे, महिलाएं और ऐसे पुरुष हैं जो ज्यादातर योजनाओं के दायरे में नहीं आ पाए हैं!) के लिहाज से सिर्फ इन तीन योजनाओं के चलते देश के प्रति व्यक्ति पर पड़ रहे बोझ का आकलन करें तो आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इस तरह से हर शख्स पर सालाना 57 हजार रुपये या हर रोज के हिसाब से 156 रुपये का बोझ पड़ रहा है!
    


खाद्य सुरक्षा कानून के तहत हर शख्स को हर महीने 5 किलो अनाज मिल रहा है। इस कानून के तहत 3 रुपये किलो चावल, 2 रुपये किलो गेहूं और 1 रुपये किलो मोटा अनाज मिल रहा है। अगर यह मान लिया जाए कि वह शख्स चावल ही खरीदता है तो पांच किलो के रूप में वह 15 रुपये खर्च करेगा। इस बात की पूरी संभावना है कि जो चावल इस योजना के तहत मिलेगा उसकी कीमत खुले बाजार में करीब 20 रुपये प्रति किलो के आसपास मानी जा सकती है। इस तरह से सरकार लाभ पाने वाले शख्स को 100 रुपये का चावल 15 रुपये में उपलब्ध करा रही है। यानी हर रोज के हिसाब से हर शख्स को लगभग 2.85 रुपये का फायदा होगा ।


     सभी व्यक्तियों को मिलने वाले फायदे और उस पर पड़ने वाले बोझ का फर्क,सरकार तीन योजनाओं (खाद्य सुरक्षा कानून, मनरेगा और शिक्षा के अधिकार) के चलते हर शख्स पर प्रतिदिन लगभग 156 रुपये का बोझ डाल रही है। इसके एवज हर शख्स को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत हर रोज लगभग 2.85 रुपये का फायदा दे रही है। यानी हर शख्स पर फायदे के बावजूद लगभग 153.15 रुपये का बोझ डाल रही?   
                                                                            रिपोर्ट :अमित कुमार & पंकज कुमार तिवारी 

Wednesday, 21 August 2013

सपा विधायक की अमर्यादित भाषा !

लखनऊ ! सपा  अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव तथा उत्तरप्रदेश  के  मुख्यमंत्री अखिलेश यादव  लैपटाप वितरण कर प्रदेश में युवाओं को बेहतर शिक्षा देना चाहते है, लेकिन शायद  पार्टी के टांडा विधायक उनकी मंशा को नहीं समझते है ! इसलिए तो टांडा  के सपा विधायक ने छात्रों से अभद्रता करते हुए कहा कि क्या लैपटाप तुम्हारे बाप का है, जिसके बाद छात्र काफी आक्रोशित दिखे लेकिन विधायक इस बात से इनकार कर रहे हैं ! लेकिन छात्रों की माने तो विधायक का तरीका सामाजिक नहीं  था। आज हनुमान प्रसाद कृषण महाविद्यालय में दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत केबाद महाविद्यालय पहुंचे टाण्डा विधायक अजीमुलहक पहवान ने क्रोध में आकर पहले तो लैपटाप वितरण बंद करवाया और बच्चों से कहा कि यहां पर लैपटाप लेने चले आये हो लैपटाप तुम्हारे बाप का है क्या? शायद विधायक को यह पता नहीं कि लैपटाप जनता के पैसे का है जिसे उनके मुखिया बांटकर अपनी घोषणा को पूरा कर रहे हैं।

Saturday, 3 August 2013

मनरेगा की लूट !

    अमेदा ! पिछले कुछ वर्षो से जिले के टांडा विकास खंड के ग्राम पंचायत अमेदा में मची है लूट ! ग्राम पंचायत में केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना महत्मा गाँधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी कानून तहत ग्राम पंचायत को मिलने वाले पैसे से हो रहे विकास कार्यो में लूट का सिल-सिला चल  है ! ग्रामीणों ने इसकी शिकायत खंड विकास अधिकारी सहित जिले के आलाधिकारियो से भी की पर अब तक न कोई जांच हुई और न ही कार्यवाही! इस बात की खबर जब ग्राम प्रधान को लगी तो वह और उनके पुत्र ने सम्बंधित शिकायत कर्ता को अपमानित किया देखलेने की धमकी देते हुये बोले की मिलने वाली सभी सुविधाओ को रोक दूँगा ! और कहा की इन शिकायतों से उनका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है !